महबूब अहमद

महबूब अहमद महबूब महबूब महबूब अहमद

महबूब अहमद का जन्म 1920 ई॰ में पटना के चौहट्टा मोहल्ला में हुआ था। वालिद का नाम डॉ वली अहमद था, जो एक डॉक्टर थे। 1932 ई॰ में इनके पिता ने इन्हें देहारदून मिलिटरी स्कूल में भेज दिया। 1940 ई॰ में उनकी नियुक्ति ब्रिटिश इंडियन आर्मी में सेकेण्ड लेफ्टिनेट के पद पर हुई। 

 

उन्हें फौजी दस्ते के साथ मलाया भेज दिया गया। वे कुछ दिनों तक ब्रिटिश इंडियन आर्मी में नौकरी करने के बाद 1942 में नौकरी छोड़कर आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए। वर्श 1943 में कर्नल महबूब को सिंगापुर में बुलाया गया जहाँ सुभाष चन्द्र बोस से उनकी पहली मुलाकात हुई। वे सुभाष बाबू के भाषण से बहुत प्रभावित हुए। 

 

इन्हें सुभाष रेजीमेंट का एड-ज्वाइन्ट के पद पर नियुक्त किया गया। कर्नल महबूब का पहला मोरचा भारत- बर्मा, सीमा, पर चीन हिल पर था। इस युद्ध में आजाद हिंद फौज के सिपाहियों को कामयाबी हासिल हुई। इस युद्ध की जीत पर नेताजी ने कर्नल महबूब को शाबाशी देते हुए कहा कि ‘‘महबूब 23 वर्ष की उम्र में तुमने तो कमाल कर दिया।’’ 

 

1943 के आखिरी महीने में ‘सुभाष रेजीमेन्ट’ को मयरांग मोरचे पर भेज दिया गया जहाँ अंग्रेजी फौज एवं आजाद हिन्द फौज के बीच युद्ध हुआ इसमें कर्नल महबूब के सिपाहियों को जीत मिली। 14 मई, 1944 को हुए युद्ध में कर्नल महबूब के नेतृत्व में आजाद हिंद फौज का क्लांग - क्लांग घाटी पर अधिकार हो गया। 

 

1945 ई॰ में पोपा हिल पर भयंकर युद्ध हुआ जिसमें सुभाष चन्द्र बोस के मिलिटरी सेक्रेटरी से कर्नल महबूब अहमद थे। इस युद्ध में आजाद हिन्द फौज की जीत हुई। 1947 में देश की आजादी मिलनें के बाद उन्हें भारतीय विदेश सेवा में शामिल किया गया। इस महान देशभक्त का निधन 9 जून, 1992 को पटना में हो गया।

 

‎⁦‪#LostMuslimHeritageOfBihar‬⁩ ⁦‪#biharimuslimdiaspora‬⁩ ⁦‪#bihar‬⁩ ⁦‪#Bihari‬⁩ ⁦‪#बिहार‬⁩ ⁦‪#BihariMuslims‬⁩ ⁦‪#BihariMuslim‬⁩ ⁦‪#MuslimOfBihar‬⁩ ⁦‪#MuslimsOfBihar‬⁩ ⁧‫#بہار‬⁩ ⁧‫#بیہار‬⁩ ⁦‪#AzadHindFauj #InA #Netaji #subhashchandrabose  #netajisubhaschandrabose #indiannationalarmy


tarkeshwar Singh

41 Blog posts

Comments