धूप में बंधे पशु ना तो बोल सकते हैं, ना वह धरना दे सकते हैं, ना अपने अधिकारों के लिए कोई हाईकोर्ट जा सकते हैं, अखबार में टेलीविजन में भी इन के लिए कोई जगह नहीं है, तपती गर्मी में अपनी चमड़ी जला सकते हैं अपने पशु होने का भुगतान कर सकते हैं हम कहीं भी रोड़ पर तपती गर्मी मैं बंधे पशुओं को देखें तो छांव में बंधवाने के लिए निवेदन करें
हो सकता है या पोस्ट आपके लिए मायने न रखें लेकिन उस बेजुबान के लिए जरूर रखती है

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